देश भर में रसायनों से प्रति होने वाले नुकसान और जैविक खेती को आगे बढ़ाने के क्रम में अब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में भी जैविक खेती का पाठ्यक्रम तैयार होगा।

अभी तक जैविक खेती से संबंधित पाठ्यक्रम शामिल नहीं था परंतु जैविक खेती के पाठ्यक्रम से परंपरागत और रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा मिलेगा।



भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से इंफाल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता में इस जैविक खेती पाठ्यक्रम को तैयार करने हेतु गठित कमेटी में 14 लोगों को शामिल किया गया है जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि विशेषज्ञों और जैविक कृषि पद्धति अपना रहे प्रगतिशील किसानों की कमेटी गठित की है।

 इस कमेटी में पदमश्री हुकम चंद पाटीदार और राजस्थान के जोधपुर के रतन लाल डागा को भी शामिल किया गया है।

इस गठित कमेटी को दो माह में प्राकृतिक खेती से संबंधित कृषि शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए एक रिपोर्ट बनाकर पेश करनी होगी।

इस पाठ्यक्रम से रसायनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान एवं जैविक कृषि के द्वारा होने वाले लाभ को स्पष्ट रूप से एक नई पहचान मिलेगी और जैविक खेती को एक पाठ्यक्रम के तौर पर चलाने से खेती की लागत में भी कमी आएगी और बंजर हो रही भूमि को भी संरक्षण मिलेगा।


1 Comments

Post a Comment