चित्तौड़गढ़ जिले के अगोरिया गांव से मोहनलाल जी जिन्होंने मधुमक्खी पालन के बारे में कुछ भी नहीं सुना था वह गुजरात में हीरे की घिसाई का काम करते थे परंतु उनकी आजीविका चलाना कठिन था।



मोहनलाल जी के मित्र ने उनको मधुमक्खी पालन के बारे में बताया तो मोहनलाल जी ने अपना व्यवसाय करने की ठानी और मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारी प्राप्त की और मधुमक्खी पालन मात्र 10 डब्बे से प्रारंभ किया और आज 150 डब्बे से शहद उत्पादन कर रहे हैं।
मोहनलाल जी के पास 4 बीघा खेत है जिसमें अपने मधुमक्खी पालन को बढ़ाने के लिए एक बीघा खेत में आंवले के पौधे और सब्जियों में मिर्च ,टमाटर, गोभी, लौकी की खेती करना प्रारंभ किया जिनसे घरेलू आवश्यकता की सब्जी के साथ बाजार में बिक्री करते हैं और मधुमक्खियों के लिए फूलों की व्यवस्था हो जाती है।



इनकी शुरुआत की परिस्थितियां थोड़ी कठिन थी क्योंकि मोहनलाल जी अपने आप को समझा चुके थे कि मधुमक्खी पालन एक अच्छा रोजगार दे सकता है मधुमक्खी पालन से फसलों का परागण अच्छा होगा जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा परंतु आसपास के इलाकों के लोगों को समझाना थोड़ा कठिन था।
मोहनलाल जी का दृढ़ निश्चय डगमगाया नहीं उन्होंने आसपास के किसानों को समझाया और ₹50000 से अपना मधुमक्खी पालन व्यवसाय प्रारंभ किया और आज उनकी वार्षिक आय सात से आठ लाख है।
एग्रो चौपाटी से बात करते हुए मोहनलाल जी बताते हैं कि इस मधुमक्खी पालन में मेरा पूरा परिवार मेरे साथ है और नए किसानो को  मधुमक्खी पालन के बारे में हमेशा प्रेरित करता हूं और उनको प्रयोग करके भी बताता हूं की मधुमक्खी पालन से शहद उत्पादन होता है साथ में आपके फसलों का उत्पादन भी बढ़ता है क्योंकि मधुमक्खी से पौधों का परागण अच्छा होता है।
मोहनलाल जी ने बताया कि मेरे फार्म में जितना भी शहद पैदा होता है वह सारा खेत से ही अलग-अलग कंपनियां खरीद लेती है जिससे मार्केटिंग समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
अलग-अलग समय पर फसलों के फूल खिलते हैं इसलिए इन डब्बों का परिवहन भी करना पड़ता है क्योंकि मधुमक्खियों को फूलों की आवश्यकता होती है।



हमारे इलाके में सरसों, धनिया ,बबूल, गैंदा फूल लगे हुए होते हैं वहां पर डब्बो का रखाव किया जाता है।
किसानों के द्वारा किसी रसायनों का स्प्रे करने पर, वर्षा के समय, मौसम परिवर्तन के समय कभी कभार बीमारियां एवं रोग भी लगने की संभावना होती है तो उसको भी व्यवस्थित तरीके से प्रबंधन करना पड़ता है।

अगर आपको भी कोई प्रगतिशील किसान के बारे में जानकारी हो तो यहां से संपर्क करें।
agrochopati@gmail.com

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