ऑक्सिन हार्मोन की खोज 1928 में f.w. वेंट ने जई पादप मे की थी
उन्होंने बताया कि पौधा का शीर्ष भाग सदैव सूर्य की प्रकाश किरणों के प्रति आकर्षित होता है एवं पौधे की कोशिकाओं में वृद्धि होती है।
कोगल वैज्ञानिक ने इसे ऑक्सिन हार्मोन का नाम दिया।
मानव मूत्र में ओक्सिन को देखा गया।
यह पौधे के शीर्ष भाग पर बनता है।
इस हार्मोन की गति तलाभिसारी होती है।
इस हार्मोन का पूर्वगामी ट्रिप्टोफैन है।
हार्मोन को बनाने के लिए जिंक का होना आवश्यक है।
पौधों की कोशिका विभाजन में इसका महत्वपूर्ण कार्य होता है।
इसके द्वारा खरपतवार नियंत्रण भी होता है।
विगलन को रोकते हैं।
डीएनए और आरएनए निर्माण प्रक्रिया को संपन्न करते हैं।
पौधों में फूलों का विकास करते हैं।
जड़ों की वृद्धि को प्रेरित करते हैं।
पौधों के घाव को भरने में सहायता करता है।
श्वसन दर को बढ़ाते हैं।
बिना निषेचन के फल निर्माण को प्रेरित करते हैं।
सामान्यतः पौधों में सर्वाधिक इसी हार्मोन का उपयोग किया जाता है।
ऑक्सीन हार्मोन प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के होते हैं।
प्राकृतिक IAA, IBA
कृत्रिम NAA, 24D, 245T, TIBBA, MCPA
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