आज हम बात करेंगे अम्लीय मृदा का निर्माण कैसे होता है

अम्लीयभूमि उस प्रकार की भूमि को कहते हैं जिसमें लवण  विशेष मात्रा में पाए जाते हैं। शुष्क जलवायु वाले स्थानों में यह  श्वेत या भूरे-श्वेत रंग के रूप में भूमि पर जमा हो जाता है।  ऐसी भूमि अधिकतर उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं महाराष्ट्र प्रांतों में पाई जाती है

अगर हमारी मृदा का पैरंट मैटेरियलअम्लीय है जैसे कि ग्रेनाइट सिलिकॉन आदि है तो बनने वाली जो मृदा  अम्लीय प्रकृति की होगी

अगर हमारी मृदा में बेस  सैचुरेशन कम होगा तो H+आयन  मृदा की सतह पर आ जाएंगे जिससे हमारी मृदा की   अम्लीयता बढ़ जाएगी

अगर हमारे एरिया में बारिश ज्यादा होगी  तापमान   और वेजिटेशन ज्यादा होगा तो हमारी मृदा  अम्लीय प्रकृति की हो जाएगी

अगर  मृदा में  ज्यादा से ज्यादा फर्टिलाइजर अम्लीय प्रकृति के उपयोग करेंगे जैसे अमोनियम सल्फेट अमोनियम नाइट्रेट आदि उपयोग करेंगे तो  मृदा अम्लीय प्रकृति की हो जाएगी

अगर  मृदा में जो वेस्ट मटेरियल है उसका  हूमीफीकेशन  होगा जिससे कारबोक्सी ग्रुप व फेनोलिक  ग्रुप  के कारण  इसकी पीएच कम हो जाएगी जिससे  मृदा  अम्लीय प्रकृति की हो जाएगी

अगर हमारी मृदा में अल्युमिनियम सिलीकेट है जो पानी से क्रिया करके एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड बनाएंगे जिससे मृदा अम्लीय प्रकृति की हो जाएगी

अम्लीय  मृदा सुधार 

अम्लीय भूमि को समस्या ग्रस्त भूमि कहते हैं, क्योंकि इसमें अम्लीयता के कारण उसकी उपजाऊ शक्ति में कमी आ जाती है। ऐसी भूमि से उत्पादन की पूर्ण क्षमता दोहन करने के लिए रसायनिक खादों के साथ-साथ चूने का सही प्रयोग सबसे अटल व उपयोगी उपाय हैं।

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