दोस्तों आज हम जानेंगे कि हमारे खेत में होगा ज्वार किस प्रकार से बियर का रूप ले सकता है ।



बीयर का निर्माण 5th मिलेनियम बीसी इरान में स्टार्ट हुआ था इसके बाद इजिप्ट एंड मीसोपोटामीया के माध्यम से पूरे संसार में बीयर लोकप्रिय हो गई।

सबसे पहले हम जानेंगे कि बीयर बनाने के लिए ज्वार की कौन सी किस्म उपयोग में ली जाती है

बीयर बनाने के लिए हार्डीयम वलगेयर काम मे लेते हैं यह जंगली प्रजाती की वैरायटी है ।

बीयर बनाने के लिए माल्टिंग प्रोसेस का उपयोग किया जाता है जिसके अंदर सबसे पहले हम बीज को 2 से 3 दिन के लिए पानी में भिगो के रखते हैं और इसकी स्प्रेडिंग करते हैं 

मतलब धूप मे सुखाते है लगभग 1 से २ सप्ताह तक का यह प्रोसेस चलता है जिसमें बीज अंकुरित होता है।

अंकुरित बीज के बाद इसका एंब्रियो बनता है इसमें एंड्रोस्पाम बनता है जिसके अंदर पोषक तत्व बहुत ही ज्यादा होता है जिसको एमआईलेसन एन्जाईम की सहायता से तोड़ा जाता है ।

तोड़ने से ही स्टार्च माल्टोज के रूप मे बदल जाता है जिसका यूज़ हम प्लांट की ग्रोथ में करते हैं जिसे प्लांट बन जाता है यह प्रोसेस हम जर्मिनेशन के टाइम करते हैं इनको हम डा्इ कर देते हैं जिससे हमारा माल्टोज है वह खर्च ना हो फिर माल्टोज को सुखा देते है ।

सुखाने के बाद  बीज को हल्की आंच पर गर्म करते हैं ।

रोस्ट करने के बाद फर्मेंटेशन के माध्यम से बीयर बनाने का की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है ।

इसमें यीस्ट के माध्यम से ऑक्सीजन की उपस्थिति में बीयर का निर्माण किया जाता है।

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