नमस्कार दोस्तों आज बात करेंगे की मूंगफली के बारे में जिसे हम पीनट ,मंकीनट ,अर्थनट, गब्बरनट,मनीला भी कहते हैं।
वैज्ञानिक नाम - ऐराकिस हाइपोजिया
फैमिली - लेग्यूमिनेसी
फल - पोड



मूंगफली के फूल मृदा के ऊपर लगते हैं परंतु पैगिंग प्रक्रिया के द्वारा वह जमीन में दब जाते हैं और इसी कारण मूंगफली जमीन के अंदर लगती है।

मूंगफली की खेती में गहरी जुताई नहीं करनी चाहिए क्योंकि पैगिंग प्रक्रिया के द्वारा मूंगफली ज्यादा नीचे नहीं चली जाए।

मूंगफली से भारत देश में 81% तेल 12% बीज 6% घरेलू कार्यों में और 1% निर्यात हेतु काम में लिया जाता है।

मूंगफली में 47 प्रतिशत तेल होता है 25% प्रोटीन होता है 10% कार्बोहाइड्रेट होता है और थायमीन फास्फोरस लोहा निकोटिन आदि पोषक तत्व मौजूद होते हैं।

मूंगफली का उत्पत्ति क्षेत्र ब्राजील है क्योंकि इस एरिया में मूंगफली की सर्वाधिक जंगली जातियां पाई जाती है।
सर्वाधिक उत्पादन क्षेत्र भारत है और  उत्पादन  चीन में होता है ।

खेत की तैयारी :- प्लाऊ से गहरी जुताई कर, पाटा लगावें।

 उन्नत क़िस्में :- HNG-10, HNG 69, HNG 123, चंद्रा, M-13, RG-425, RG-510  
                                                          

 बुवाई का समय :-  बुवाई का उपयुक्त समय जून के प्रथम सप्ताह हैं, लेकिन कुछ किसान अगेती बुवाई 15 मई से प्रारंभ कर सकतें हैं।।  

मूंगफली के लिए लंबा गर्म मौसम चाहिए होता है और मूंगफली की फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी उचित मानी गई है क्योंकि यह मिट्टी बहुत ही मुलायम होती है जिस कारण मूंगफली की पैगिंग प्रक्रिया आसानी से संपन्न हो जाती है।

मूंगफली के लिए मिट्टी में उच्च पोषक तत्व होने चाहिए और मिट्टी का पीएच  6 से 6.5 होना चाहिए।
मूंगफली के पौधों को दो भागों से वर्गीकृत किया जाता है झुमका और फैलाव

⚫झुमका
मूंगफली की पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है और इनमें फूल जल्दी लगते हैं तथा झुमके वाले मूंगफली में 90 से 95% बीज अंकुरित होते हैं और गुच्छे वाली मूंगफली 120 दिन में पक जाती है इसका उत्पादन 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है।

⚫फैलाव
मूंगफली की पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है और इनमें फूल देरी से लगते हैं तथा इस मूंगफली में 85 से 90% बीज अंकुरित होते हैं और खेलने वाली मूंगफली में 129 दिन में पक जाती है इसका उत्पादन 20 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है।

सामान्यता मूंगफली के लिए 100 किलोग्राम प्रति हैक्टर बीज दर का उपयोग करते हैं और बीज उपचार के लिए राइजोबियम जेपोनिकम को काम में लेते हैं।

मूंगफली में कतार और पौधों की दूरी क्रमशः 40 * 15 रखते हैं।

मूंगफली की खेती में बुआई के एक महीने बाद जिप्सम का देना अति आवश्यक होता है क्योंकि जिप्सम से मूंगफली में तेल की मात्रा में वृद्धि होती है तथा मूंगफली में दानों का आकार भी बढ़ता है।

मूंगफली में सिंचाई की तीन  क्रांतिक अवस्था होती है ।
फुल बनते समय ,पैग बनते समय और फली बनते समय

मूंगफली में पैक बनाने के बाद निराई गुड़ाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि निराई गुड़ाई करने से पैगिंग प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है।

सामान्य मूंगफली में खरपतवार को रोकने के लिए वैशाली फ्लूक्लोरालीन का इस्तेमाल किया जाता है।

भंडारण के दौरान मूंगफली में नमी ज्यादा रह जाए तो इसमें अफलाटॉक्सिन नामक विषैला तत्व बनता है जो हानिकारक होता है।
मूंगफली की खली में अरेडीन तत्व होता है जिस कारण पशुओं के दूध में 35% वृद्धि होती है।
मूंगफली की खली में 7.29% नाइट्रोजन होता है।


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