हम सभी जानते हैं कि भारत एक विशाल देश है और यहां की लगभग 49%जनसंख्या अपनी आजीविका निर्माण के लिए कृषि कार्य पर निर्भर है वर्तमान में खेती करने की प्रक्रिया में एक बहुत बड़ा अंतर आ गया है आजादी से पूर्व भारत में की जाने वाली खेती में किसी प्रकार की रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया चाहता था लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अन्न की मांग बढ़ने लगी और धीरे-धीरे लोगों ने उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुन उर्वरकों का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया जिस कारण आज लोग तरह तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं यह समस्या ज्यादातर पंजाब राज्य के आस पास के क्षेत्रों में ज्यादा हो रही है आजादी के बाद वहां के लोगों ने उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जिसके कारण वहां की मिट्टी की उर्वरकता बहुत ज्यादा कम हो गई जिससे मिट्टी में रासायनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ गई इस कारण वह उगने वाले अनाजों में भी रसायन की मात्रा बढ़ गई जिसका प्रभाव अनाज का उपयोग करने वाले बच्चे और बुजुर्गों ओर वहा रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर होने लगा जिसके कारण वहां के लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले लिया है
ऑर्गेनिक खेती क्या होती है-
ऑर्गेनिक खेती फसल उत्पादन की एक प्राचीन पद्धति है जिसके कारण पहले के लोग एक स्वस्थ जीवन यापन करते थे और ऑर्गेनिक खेती को की जैविक खेती भी कहा जाता है जैविक कृषि में फसलों के उत्पादन में गोबर की खाद कंपोस्ट जीवाणु खाद फसलों के अवशेष और प्राकृतिक संसाधन का उपयोग किया जाता है प्राकृतिक संसाधन के रूप मे ही पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं इस प्रकार की खेती में प्रकृति में पाए जाने वाले तत्व एवं पदार्थों का कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने के साथी भूमि को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखती है ऑर्गेनिक खेती का अभिप्राय है एक ऐसी कृषि प्रणाली से हैं जिससे फसलों का उत्पादन एक स्वस्थ प्रणाली के रूप में पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए अन्न उत्पादन करना है
जैविक खेती के घटक
-फसल चक्र
-फसल अवशेष
-पशुपालन
-जैव उर्वरक
-खाद
-कृमि खाद
-जैवकीटनाशकों
-गैर रासायनिक खरपतवार प्रबंधन
-पलवार
-हरी खाद
गौमूत्र-
फसल के लिए 20 लीटर पानी के साथ एक लीटर गौमूत्र
पंचगव्य-
गाय का गोबर + गोमूत्र का दूध + दही और घी तैयार मिश्रण विघटित तरल
मृदा उपचार-
250 ग्राम घी + 10 किलो गाय का गोबर + 500 ग्राम शहद 200 लीटर पानी के घोल में मिलाकर मिट्टी में मिला दें
कीटनाशक-
तांबे के जार में नीम की पत्ती + नीम के बीज का पाउडर 10 लीटर गोमूत्र के पत्ते के साथ 10 दिन के घोल में 10 दिनों के बाद घोल में 250 ग्राम लहसुन और 500 ग्राम अदरक तैयार घोल डालकर उबाल लें और फसल पर छिड़काव करें।
फसल चक्र -
विशेष काल की एक ही भूमि पर विभिन्न फसलों की व्यवस्थित व्यवस्था
फसल अवशेष-
फसलों के अवशेषों का उपयोग करना
खाद-
पादप जन्तु तथा मानव अवशिष्ट जैसे खाद स्रोत तैयार करना
भारी जैविक खाद
केंद्रित जैविक खाद
जैविक उर्वरक-
लाभकारी सूक्ष्मजीव का उपयोग उपयुक्त फसल में वायुमंडलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने में किया जाता है
राइजोबियम
अजेक्टोबेक्टर
एजोस्प्रिलियम
एजोला,PSM
साइनोबेक्टिरिया
Fungi
गैर रासायनिक खरपतवार प्रबंधन-
कोई रासायनिक उपयोग नहीं
यांत्रिक जैविक खरपतवार नियंत्रण अभ्यास करें
जैव विविधता-
जैविक खेती में सभी स्तरों पर जैव विविधता का संरक्षण करें
सफल जैविक खेती-
एक सुरक्षित खाद्य आपूर्ति और प्रोटीन वातावरण के लिए एक प्रतिबद्धता
धैर्य और अच्छा अवलोकन कौशल प्रशिक्षण
पारिस्थितिक तंत्र को समझना
अच्छा विपणन कौशल बनाना
सफलता और असफलता की कहानियों को साझा करने और दूसरों से सीखने की इच्छा जागृत करना
नई तकनीक और प्रथाओं को अपनाना

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