Dry land agriculture - वर्षा प्रधान दशाओं के आधार पर फसलोत्पादन करना शुष्क भूमि पृथ्वी कहलाता है।
वर्षा की मात्रा के आधार पर Reddy ने इसको 3 भागों में वर्गीकृत किया है।
▪️Dry farming - ऐसे क्षेत्र जहां वार्षिक औसत वर्षा 750 मिमी से कम होती है।
इनमें फसल की अवधि 75 दिन की होती है।
▪️Dry land farming - ऐसे क्षेत्र जहां वार्षिक औसत वर्षा 750 मिमी से 1150 मिमी तक होती है।
इनमें फसलों की अवधि 75 से 120 दिन तक होती है।
▪️Rain fed farming -  ऐसे क्षेत्र जहां वार्षिक औसत वर्षा 1150 मिमी से अधिक होती है।
इनमें फसल की अवधि 120 दिन से अधिक होती है ।

▪️शुष्क कृषि की विशेषताएं -



अनियमित व‌‌ अनिश्चित वर्षा
भूमि की निम्न उर्वरा शक्ति
निम्न ,अस्थिर उत्पादन
स्थानीय लोगों का निम्न जीवन स्तर
प्रौद्योगिकी एवं कौशल ज्ञान की कमी

▪️ सिद्धांत -
1. नमी जल संरक्षण-
मृदा जल धारण क्षमता बढ़ाना
गहरी जुताई करना
पलवार करना
वर्षा जल स्तर कर सदुपयोग करना
2. वाष्पोत्सर्जन मात्रा कम करना
रंद्र बंद करने वाले रसायन जैसे pma
पत्तियों पर फिल्म बनाने वाले रसायन जैसे मोबिलीफ प्रकाश परावर्तन रसायन जैसे केओलिन
वृद्धि अवरोधक रसायन जैसे साइकोसेल
3.फसल प्रबंध
मिश्रित खेती अपनाएं
कम पानी वाली फसल लगाएं
पौध संख्या कम करें
बीजों का उपचार करें
उर्वरक निश्चित गहराई में डालें
उपयुक्त किस्मों का चयन करें
बाजरा - WCC 75, MH 179, RCB 2
गेहूं - D134,RAJ 3077
गवार - दुर्गापूरा सफेद, RGC 936
मूंग - RMG 62, पूसा बैशाखी
मोठ - ज्वाला, RMO 40
तिल - RT 127
सरसों - पूसा बोल्ड, पूसा जयकिसान
मूंगफली - JL 24, GG 2

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